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“शिक्षा मानव निर्माण की प्रक्रिया है और शिक्षक इस प्रक्रिया का सूत्रधार’’। मानव निर्माण की प्रक्रिया से तात्पर्य मानव, मानवीय, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के निरन्तर विकास से है । इन मूल्यों का अविर्भाव जितनी जल्दी बालकों में होगा उनका विकास भी उतना ही अधिक होगा । उक्त परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक शिक्षक के दायित्व को दृष्टिगत रखते हुए समूचे देश में संचालित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है । इस उत्तरदायित्व के निर्वहन में ‘‘ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, मथुरा ’’ उत्तर प्रदेश में अग्रगामी भूमिका निभा रहा है ।

संस्थान बदलते समय के साथ आधुनिक तकनीकी का प्रयोग प्रबन्धन एवं प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कर रहा है । पुस्तकालय का डिजटलीकरण तथा प्रशिक्षुओं की ऑनलाइन उपस्थिति एवं इण्टर्नशिप के लिए ऑनलाइन विद्यालय आवंटन इत्यादि सम्मिलित है । साथ ही प्रशिक्षुओं हेतु डी०एल०एड० पाठयक्रम का प्रशिक्षण ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया जा रहा है |

आधुनिक तकनीक के उपयोग से भी कही अधिक महत्वपूर्ण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की विशिष्ट अवस्थिति है, जो इसे सहज ही प्राचीन भारतीय संस्कृति से जोडती है । अपनी इस विशिष्ट धरोहर को संजोने और आगे आने वाली पीढियों को हस्तान्तरित करने के लिए संस्थान में गुरूकुल के समान वातावरण निर्माण की प्रक्रिया अपनायी जा रही है । प्रशिक्षुओं को संस्थान के परिसर में ही आवास उपलब्ध कराए जा रहे हैं । प्रत्येक प्रशिक्षु पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है, उनकी समस्याओं को सुनकर और समझकर उन्हें उचित निर्देशन प्रदान किया जाता है ।

संस्थान का उद्देश्य अपने प्रत्येक प्रशिक्षु को उसके श्रेष्ठतम उद्देश्य को पहचानने एवं उद्देश्य प्राप्ति तक पहुँचने में सहायता प्रदान करना है। प्रशिक्षुओं की क्षमताओं का श्रेष्ठतम विकास जिससे वह जिस भी दिशा में या क्षेत्र में जाएं अपने व्यक्तिगत एवं विशिष्ट मूल्यों से समाज एवं राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकें, ही इस संस्थान का उद्देश्य है ।

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